13 जुल॰ 2015

पाँचों प्राणों के स्थान और कार्य


1. प्राणवायु

मस्तक, छाती, कंठ, जीभ, मुख और नाक ये सभी प्राणवायु के स्थान हैं। मन का कार्यक्षेत्र मस्तिष्क होता है एवं प्राणवायु मन का नियमन करता है और सम्पूर्ण इन्द्रियों को अपने-अपने कार्यों में लगाता है।प्राणवायु से अन्न शरीर में जाता है। प्राणवायु के निकलने पर मृत्यु हो जाती है।

2. अपानवायु

अपानवायु के स्थान हैं - दोनों अंडकोष, मूत्राशय, मूत्रेन्द्रिय, नाभि, उरू, वक्षण और गुदा। आंत में रहने वाला अपानवायु शुक्र, मलमूत्र तथा गर्भ को बाहर निकालता है।

3. समानवायु

स्वेद दोष तथा जल-वहन करने वाले स्रोतों में रहने वाला तथा जठराग्नि के पार्श्व में इसका स्थान है। समानवायु अग्नि के बल को बढ़ाने वाला होता है।

4. उदानवायु

नाभि, वक्षःप्रदेश और कण्ठ उदानवायु स्थान हैं। वाणी को निकालना, प्रत्येक कार्य में यत्न करना, उत्साह बढ़ाना, बल और वर्ण को समुचित रखना इसके कार्य हैं।

5. व्यानवायु

व्यानवायु मनुष्य के सारे शरीर में व्याप्त रहता है। यह तीव्र गति वाला होता है।इसका कार्य शरीर में गति उत्पन्न करना, अंगों को फैलाना एवं पलकों को झपकना इत्यादि है।

यदि ये पाँच वायु अपनी स्वाभाविक अवस्था में रहें तो इनके द्वारा रोगरहित स्वस्थ शरीर का धारण होता है।

बारिश के मौसम में क्या करें क्या ना करें, जानिए आयुर्वेद के नज़रिए से


इस मौसम में आसमान बादलों से घिरा रहता है और हवा में नमी बनी रहती है। इस मौसम के दूषित जल और नमीयुक्त शीतल वायु से शरीर की अग्नि मंद पड़ जाती है। मंद हुई अग्नि से पाचनतंत्र पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। साथ ही इस समय वायु भी दूषित हो जाती है और जल अम्ल्युक्त हो जाता है जिससे शरीर का पित्त कुपित हो जाता है। अग्नि मंद होने और वर्षा के पानी में पशुकीटआदि के मलमूत्र के स्पर्श से कफ़ भी कुपित हो जाता है। इस प्रकार से बारिश के मौसम में वात, पित्त और कफ़ तीनों ही के दोषों के कारण बीमारियों से घिरने की संभवना सबसे ज़्यादा होती है।

बारिश के मौसम में स्वस्थ रहने के लिए अग्निवर्धक पदार्थों का सेवन करना चाहिए जैसे मूंग की दाल, मट्ठा, नीम्बू, अंजीर और खजूर इत्यादि। पानी उबालकर ही पीना चाहिए। रोज़ हरड़ के चूर्ण के साथ सेंधा नमक का सेवन करना चाहिए। अधिक वर्षा के दिनों में लवणयुक्त खट्टे एवं स्निग्ध पदार्थों का सेवन करना चाहिए। तेल लगाकर स्नान करना चाहिए। पहनने के वस्त्रों को अकसर धूप में सुखाना चाहिए।

उदमन्थं दिवास्वप्नमवश्यायं नदीजलम्।
व्यायाममातपं चैव व्यवायं चात्र वर्जयेत्।।

अर्थात इस ऋतु में नदीतट का वास, नदी का जल, जलयुक्त सत्तू, दिन में सोना, व्यायाम, अधिक परिश्रम, धूप, रूखे पदार्थों का सेवन एवं स्त्री सहवास वर्जित हैं।

इस प्रकार कुछ सावधानियां बरतकर स्वस्थ रहकर आप वर्षा ऋतु का आनंद ले सकेंगे।

12 जुल॰ 2015

एल्युमीनियम के बर्तनों में बने भोजन के गंभीर दुष्परिणाम


आजकल हमारे रसोईघरों में ज़्यादातर बर्तन एल्युमीनियम से बने हुए होते हैं। आज विश्व के लगभग ६०% बर्तन अल्यूमीनियम से बनाए जाते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि एक तो ये दूसरी धातुओं के मुकाबले सस्ते और टिकाऊ होते हैं, ऊष्मा के अच्छे सुचालक होते हैं।

भले ही एल्युमीनियम के बर्तन सस्ते पड़ते हों लेकिन हमारे स्वास्थ्य पर इनका बहुत बुरा असर पड़ता है। इन बर्तनों में पके हुए भोजन के कारन एक औसतन मनुष्य प्रतिदिन 4 से 5 मिलीग्राम एल्युमीनियम अपने शरीर में ग्रहण करता है। मानव शरीर इतने एल्युमीनियम को शरीर से बाहर करने में समर्थ नहीं होता है। एक तरह से हम रोज़ इन एल्युमीनियम के बर्तनों के बहाने धीमा ज़हर खा रहे हैं। गौर से देखने पर आप पाएंगे कि एल्युमीनियम के बर्तनों में बने भोजन का रंग कुछ बदल जाता है ऐसा इसलिए होता है कि यह भोजन एल्युमीनियम से दूषित हो जाता है।

स्वास्थ्य पर इसका बुरा प्रभाव इसलिए पड़ता है क्योंकि एल्युमीनियम भोजन से प्रतिक्रिया करता है, विशेष रूप से एसिडिक पदार्थों से जैसे टमाटर आदि। प्रतिक्रिया कर यह एल्युमीनियम हमारे शरीर में पहुँच जाता है। सालों तक यदि हम एल्युमीनियम में पका खाना खाते रहते हैं तो यह एल्युमीनियम हमारी मांसपेशियों, किडनी, लीवर और हड्डियों में जमा हो जाता है जिसके कारण कई गंभीर बीमारीयां घर कर जाती हैं।

एल्युमीनियम पोइज़निंग के लक्षण

एल्युमीनियम पोइज़निंग का मुख्य लक्षण है पेट का दर्द। हो सकता है आपके पेट में अक्सर रहने वाला दर्द एल्युमीनियम के कारण हो। इसके अलावा कमज़ोर याददाश्त और चिंता इसके दूसरे प्रमुख लक्षण हैं।


एल्युमीनियम के कारण होने वाली बीमारियां

कमज़ोर याददाश्त और डिप्रेशन
मुंह के छाले
दमा
अपेंडिक्स
किडनी का फेल होना
अल्ज़ाइमर
आँखों की समस्याएं
डायरिया या अतिसार

इसलिए हमेशा लोहे अथवा मिट्टी के पात्रों में ही भोजन पकाया जाना चाहिए। यह आपके भोजन के स्वाद और आपकी सेहत दोनों के लिए अच्छा है।

7 जुल॰ 2015

अतिगुणकारी हरड़ (Terminalia chebula)


हरीतकी सदा पथ्या मातेव हितकारिणी।
कदाचित कुप्यते माता नोदरस्था हरीतकी॥

हरीतकी (हरड़) सदा ही पथ्यरूपा (जिसका कभी परहेज ना करना पड़े) है, माता के समान हित करने वाली है। माता कभी-कभी कोप कर सकती है किन्तु सेवन की गयी हरड़ कभी कुपित नहीं होती, सदा हित ही करती है।

1. नमक के साथ हरड़ खाने से पेट सदा साफ रहता है। हरड़ के चूर्ण में एक चौथाई भाग ही नमक मिलाना चाहिए इससे अधिक में दस्तावर हो सकता है।

2. घी के साथ हरड़ का चूर्ण चाटने से कभी हृदय रोग नहीं होता।

3. सुबह शहद के साथ हरड़ का चूर्ण चाटने से शरीर का बल और शक्ति बढ़ती है।

4. मक्खन-मिस्री के साथ हरड़ के चूर्ण का सेवन करने से स्मरण शक्ति और बुद्धि बढ़ती है अतः विद्यार्थियों का इसका सेवन अवश्य करना चाहिए।

5. पंचगव्य के साथ हरड़ का चूर्ण सेवन करने से आयु बढ़ती है।

अतः हरड़ सदा ही हितकारी है, इसका सेवन नित्य करना चाहिए।

स्मरणशक्ति बढ़ाने वाला चमत्कारी कल्याणवलेह


कल्याणवलेह के २१ दिन तक नित्य सेवन से स्मरण शक्ति बहुत बढ़ जाती है। ऐसा व्यक्ति सुनकर ही बातों को याद कर लेता है। उसकी आवाज़ बादलों के समान गंभीर और कोयल के समान मधुर हो जाती है।

बनाने की विधि: हल्दी, बच, कूठ, पीपल, सोंठ, जीरा, अजमोद, मुलेठी और सेंधा नमक सब बराबर मात्रा में मिलाकर महीन पीस कर चूर्ण तैयार कर लें।

(सहरिद्रा वचा कुष्ठं पिप्पलीविश्वभेषजम्।
अजाजी चाजमोदा च यष्टीमधुकसैन्धवम्।।)

सेवन की विधि: ८ से १६ रत्ती (१ से २ ग्राम) तक आयु के अनुसार २१ दिनों तक नित्य प्रयोग करें।

6 जुल॰ 2015

इन बातों का ध्यान रख उच्च रक्तचाप रोगी जी सकते हैं सामान्य जीवन


उच्च रक्तचाप के मरीज़ों को अपनी दिनचर्या संयमित बनानी चाहिए जिससे वे स्वस्थ रहकर सामान्य जीवन का आनंद ले सकें। प्रस्तुत हैं खानपान और दिनचर्या संबंधी कुछ टिप्स-


  • उच्च रक्तचाप के मरीज़ों को रोटी के आटे में अजवाइन डालकर सेवन करना चाहिए इससे जठराग्नि दीप्त होती है और रक्तचाप नियंत्रित रहता है।
     
  • भोजन को अच्छी तरह से चबाकर खाना चाहिए। भोजन करने में कभी भी शीघ्रता ना करें।
     
  • खट्टे, मीठे एवं तीखे व्यंजनों का त्याग कर देना चाहिए।
     
  • भोजन भूख से कुछ करना चाहिए, इससे आयु की वृद्धि होती है।
     
  • आलू, अरबी और मैंदे की तली हुई चीज़ों जैसे कचौड़ी, समोसे इत्यादि का सेवन ना करें।
     
  • देर से हजम होने वाले भोजन से बचें।
     
  • भारी वज़न ना उठाएं।
     
  • तेज़ी से सीढ़ियाँ ना चढ़ें।
     
  • कठिन व्यायाम और परिश्रम ना करें।
     
  • सुखासन, वज्रासन और पूर्वोत्तनासन उच्च रक्तचाप के मरीज भी कर सकते हैं। इस रोग में ये विशेष लाभकारी हैं।
     
  • ऐसी बातों, साहित्य और सिनेमा इत्यादि से दूर रहे जिनसे दिमाग पर दबाव पड़ता है।
     
  • ऐसे रोगी के परिवार के लोगों को भी इस बात का पूरा ख़्याल रखना चाहिए कि रोगी को किसी बात का मानसिक कष्ट ना हो। उनके खानपान का भी ध्यान रखना चाहिए।

सीताफल के सेहत से जुड़े 10 फायदे


बरसात के मौसम में पाया जाने वाला सीताफल आपकी सेहत के लिए कई प्रकार से लाभकारी है। आइए जानते हैं उसके कुछ गुण और दोषों के बारे में-

1. जिनका वज़न कम है उनके लिए सीताफल बड़े काम का फल है। सीताफल में बहुत कैलोरी पाई जाती हैं एवं इसमें उपस्थित शर्करा मेटाबोलिस्म को बढाती है जिससे भूख खुलती है।

2. सीताफल विटामिन C से भरपूर होता है जो कि एक बहुत अच्छा एंटीऑक्सीडेंट होता है जो आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। इसे खाने से फ्री रैडिकल्स से लड़ने में मदद मिलती है जो कैंसर जैसे रोगों से हमारी सुरक्षा करने में बहुत कारगर है।

3. सीताफल में विटामिन B कॉम्प्लेक्स पाया जाता है जो कि आपके मस्तिष्क के लिए बहुत ज़रूरी है। इससे तनाव और डिप्रेशन कम होता है।

4. सीताफल का छिलका दांतों और मसूड़ों की बिमारियों से लड़ने में हमारी मदद करता है।

5. खून की कमी को भी सीताफल पूरा करने में बहुत लाभकारी है। इसमें प्रचुर मात्रा में आयरन पाया जाता है। इसके प्रयोग से वमन (उल्टी), रक्त में थक्के जमना और गठिया जैसी बिमारियों में भी राहत मिलती है।

6. इसमें पाया जाने वाला रायबोफ्लेविन और विटामिन C के कारण यह आपकी आँखों के लिए लाभकारी है यह आपकी आँखों की ज्योति को बढ़ाता है।

7. सीताफल में प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला मैग्नीशियम शरीर में पानी की मात्रा को संतुलित रखता है और जोड़ों से एसिड बाहर निकालता है जो की गठिया जैसे हड्डियों के रोगों में बहुत लाभकारी है। इसमें कैल्शियम भी पाया जाता है।

8. यह आपके हृदय के स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है क्योंकि इसमें सोडियम और पोटेशियम आवश्यक अनुपात में होते हैं जो कि रक्तचाप को स्थिर रखने में सहायक हैं। यह शरीर में घातक कैलोस्ट्रॉल को कम कर लाभदायक कैलोस्ट्रॉल को बढ़ाता है। इसमें पाया जाने वाला मैग्नीशियम हृदय की मांसपेशियों के लिए बहुत ज़रूरी है जोकि हमें हृदयघात से बचाता है।

9. यह आंतों से टोक्सिन बाहर निकालता है जिससे आपका पाचनतंत्र भी स्वस्थ होता है। सीने में जलन, एसिडिटी, छालों और गैस जैसी तकलीफों में भी यह बहुत लाभकारी है। यह आपकी त्वचा के निखार के लिए भी बहुत उपयोगी है।

10. असमय प्रसव में सीताफल बेहद लाभकारी है। इसमें पर्याप्त मात्रा में कॉपर पाया जाता है जोकि शरीर को हीमोग्लोबिन बनाने में मदद करता है। एक गर्भवती स्त्री को भ्रूण के विकास के लिए प्रतिदिन 1000 मि.ग्रा. कॉपर की आवश्यकता होती है। इससे कम मात्रा में समय से पहले प्रसव और अविकसित भ्रूण की आशंका बनी रहती है इसलिए गर्भवती स्त्रियों को सीताफल का सेवन करते रहना चाहिए।

सीताफल के सम्बन्ध में कुछ चेतावनियाँ

1. सीताफल की प्रकृति बहुत ठंडी होती है इसलिए इसका सेवन निश्चित मात्रा में ही करना चाहिए

2. इसके बीज विषैले होते हैं अतः इनका सेवन कदापि ना करें।

3. डायबिटीज़ के मरीज़ों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इसमें शर्करा बहुत अधिक मात्रा में पाई जाती है।

4 जुल॰ 2015

हाई ब्लडप्रैशर का रामबाण इलाज


हाई ब्लडप्रैशर से ग्रसित मरीजों के लिए एक बहुत ही अच्छा उपाय है। इस प्रयोग को आसानी से किया जा सकता है।

 रात को 10 ग्राम जटामांसी 100 ग्राम पानी में भिगो दें। सुबह मसलकर छान लें। इस पानी में 2 चम्मच शहद मिलाकर रोज़ पियें। 60 दिन तक नियमित इस प्रयोग को करने से उच्च रक्तचाप से पूर्णतः मुक्त हो जाएंगे। परहेज़ का भी ध्यान रखें।


जटामांसी किसी भी आयुर्वेदिक स्टोर अथवा बड़े किराना स्टोर पर मिल जाती है। इस प्रयोग को करते समय नपातुला भोजन लें। अधिक नमक, तला हुआ एवं तिक्त भोजन ना करें। हल्का व्यायाम रोज़ करें। रात्रि में भोजन सोने से कम से कम 2 घंटे पहले कर लें। अवश्य लाभ होगा।

2 जुल॰ 2015

फेफड़ों के बारे में रोचक जानकारी



हमारे फेंफड़ों का मुख्य कार्य हमारे द्वारा ली गई सांसों से रक्तप्रवाह में ऑक्सीजन पहुँचाना तथा कार्बनडाईऑक्साइड बाहर निकलना है।

अधिकांश कशेरुकी प्राणियों (जिनमें रीढ़ की हड्डी होती है) के दो फेंफड़े होते हैं।

हमारा दायाँ और बायाँ फेंफड़ा एक जैसा नहीं होता। हमारा बायाँ फेंफड़ा हृदय को जगह देने के कारण थोड़ा छोटा होता है। वहीं हमारा बायाँ फेंफड़ा दो भागों में विभाजित रहता है जबकि दायाँ तीन भागों में।

क्या हम एक फेंफड़े के सहारे ज़िंदा रह सकते हैं? बिलकुल रह सकते हैं? दुनिया में कई लोग सिर्फ एक ही फेंफड़े के सहारे ज़िंदा हैं हालाँकि वे सामान्य व्यक्ति की तरह अधिक परिश्रम नहीं कर सकते।

जिन लोगों के फेंफड़ों की क्षमता या आयतन अधिक होता है वे पूरे शरीर में ऑक्सीजन तेज़ी से पहुंचा सकते हैं। आप अपने फेंफड़ों की क्षमता नियमित अभ्यास से बढ़ा सकते है।

आराम करते समय एक वयस्क मनुष्य एक मिनट में करीब 12 से 20 बार सांसें लेता है।

एक आम मनुष्य दिन भर में 11,000 लीटर वायु सांसों के माध्यम से अपने शरीर में ग्रहण करता है।

मेडिकल साइंस में फेंफड़ों का अध्ययन  पुलमोनोलॉजी (Pulmonology) कहलाता है।

धूम्रपान से फेंफड़ों का कैंसर हो सकता है।

दमे का रोग फेंफड़ों से जुड़ा एक प्रचलित रोग है। दमे का प्रभाव तब होता है जब श्वास नली में संकुचन पैदा हो जाता है, जिसका प्रमुख कारण बैक्टीरिया और धूम्रपान इत्यादि है।

निमोनिया एक खतरनाक बीमारी है। इसके कारण आप सांस से ली जाने वाली वायु में से ऑक्सीजन ग्रहण नहीं कर पाते।

सेहत बनाए अंकुरित मूंग



प्रकृति में आसानी से उपलब्ध अंकुरित मूंग आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत ही गुणकारी है। अंकुरित मूंग में कैलोरी की मात्रा बहुत कम होती है जिससे यह आपको फिट रखने में भी बहुत मदद करती है। आइए जानते हैं अंकुरित मूंग में कौन कौन से पोषक तत्व पाए जाते हैं - 

मूंग को अंकुरित करने की विधि

विटामिन K

हमारी बड़ी आंत में पाए जाने वाले बैक्टीरिया विटामिन K का निर्माण करते हैं लेकिन शरीर को आवश्यक मात्रा में नहीं। यह हमारी हड्डियों और हृदय में रक्त संचार प्रणाली के लिए बहुत आवश्यक है। अंकुरित मूंग में विटामिन K अच्छी मात्रा में उपलब्ध होता है।

विटामिन C

विटामिन C का एंटीऑक्सीडेंट गुण हमारी कोशिकाओं को फ्री रैडिकल से बचाता है जो कि कैंसर से लड़ने में बहुत मददगार है।

लौह तत्व (Iron)

अंकुरित मूंग में प्रचुर मात्रा में आयरन पाया जाता है। आयरन हमारे रक्त को शरीर में सुचारू रूप से ऑक्सीजन पहुँचाने में बेहद ज़रूरी है। इसके अलावा यह हमारी कोशिकाओं की वृद्धि में भी सहायक है जोकि हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए ज़रूरी है।

फ़ॉलेट

विटामिन B का एक प्रकार फ़ॉलेट हमारे शरीर में डीएनए बनाने में अहम भूमिका अदा करता है। साथ ही यह लाल रक्त कण बनने में भी महत्वपूर्ण कारक है। ये प्रक्रियाएं सभी के लिए ज़रूरी हैं लेकिन बढ़ते बच्चों के विकास में तो ये एकदम ज़रूरी घटक हैं। इसलिए बच्चों को अंकुरित मूंग अवश्य देना चाहिए।

अंकुरित मूंग के सम्बन्ध में कुछ चेतावनी

अंकुरित मूंग में बहुत मात्रा में बैक्टीरिया पाए जाते हैं इसलिए बहुत छोटे नवजात शिशुओं और गर्भवती स्त्रियों को इसके सेवन से बचना चाहिए। बहुत बूढ़े लोग भी जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो गई हो वो भी इन बैक्टीरिया के दुष्प्रभाव से लड़ने में इतने सक्षम नहीं होते उन्हें भी इसे कच्ची खाने की सलाह नहीं दी जाती। ऐसे लोगों को अंकुरित मूंग पकाकर ही खानी चाहिए।

मूंग को अंकुरित करने की विधि



अंकुरित होने के बाद मूंग और भी अधिक गुणकारी हो जाती है। यह लो-कैलोरी और पोषक तत्वों से भरपूर होती है। आइए जानते हैं मूंग को अंकुरित कैसे करें - 

सबसे पहले मूंग को साफ़ कर लें जिससे उसमें किसी तरह के कंकड़-पत्थर एवं अशुद्धियाँ निकल जाएं। इसके बाद उसे धोकर 6 से 8 घंटों के लिए पानी में भिगो दें। इसके बाद इसे छानकर दोबारा धो लें। फिर इसे 10 से 12 घंटों के लिए सूती कपड़े में लपेटकर लटका दें। कपड़ा सूखने पर इसे बार बार गीला करते रहें। 10 से 12 घंटों में आपकी मूंग अंकुरित हो जाएंगी और फिर वे आपके खाने के लिए तैयार हैं।

गाय के दूध के १० गुण

गाय का दूध बाकी सभी पशुओं से मिलने वाले दूध से बहुत अलग है। जानते हैं गाय के दूध के १० गुणों के बारे में -

स्वादु शीतं मृदु स्निग्धं बहलं श्लक्ष्ण पिच्छिलम्।
गुरु मन्दं प्रसन्नं च गव्यं दशगुणं पयः॥


गाय के दूध में ये दस गुण होते हैं - स्वादिष्ट, ठंडा, कोमल, चिकना, गाढ़ा, सौम्य लसदार, भारी और बाह्य प्रभाव को विलम्ब से ग्रहण करने वाला तथा मन को प्रसन्न करने वाला।

इतना ही नहीं प्रातर्दोह (सुबह के समय दुहा हुआ), संगव (दोपहर के समय दुहा हुआ) एवं सायंदोह (शाम के समय दुहा हुआ) दूध भी अलग-अलग प्रभाव रखता है। सुबह का दूध वीर्यवर्धक एवं अग्निदीपक, दोपहर का दूध बलकारक, बच्चों की वृद्धिकरक बूढ़ों में क्षयनाशक, मंदाग्नि नष्ट करने वाला, पित्त को हरने वाला एवं कफनाशक तथा शाम का दूध अनेक दोषों को नष्ट करने वाला होता है।

गाय का धारोष्ण (थनों से तुरंत निकला हुआ दूध) सभी असाध्य से भी असाध्य रोगों का नाश कर डालता है।

अतः गाय का दूध सदा सेवनीय है।

1 जुल॰ 2015

मोटापा दूर करें



साधारणतः मोटापे की पहचान है कि जितने इंच ऊंचाई हो उतने ही किलोग्राम वज़न होना चाहिए इससे कम होने पर पतला और अधिक होने पर मोटा कहा जायेगा।

बचपन में दौड़भाग करते रहने के कारण शरीर में फालतू चर्बी जमा नहीं हो पाती लेकिन जैसे-जैसे हम बड़े होते जाते हैं शारीरिक श्रम के आभाव में शरीर पर चर्बी जमा होने लगती है। चर्बी के कारण रक्त संचार में बाधा उत्पन्न होती है एवं रक्तवाहिनियों में वसा के कारण कोलेस्ट्रॉल जमा हो जाता है जिससे बी.पी. एवं हृदयरोग घर कर जाते हैं। रक्त संचार कम होने पर रोग प्रतिरोधक क्षमता भी घट जाती है और तमाम बीमारियों का खतरा पैदा हो जाता है।

मोटापा दूर करने या इससे बचने के दो उपाय हैं, पहला है - भोजन सुधार और दूसरा है - प्रतिदिन शारीरिक श्रम। जिन पदार्थों में कार्बोहायड्रेट अधिक हो उन्हें त्याग दें जैसे तेल, घी, आलू, शकरकंद और चीनी। सुबह जल्दी उठकर एक गिलास गुनगुने पानी में एक नीम्बू और 1 से 2 चम्मच शहद मिलकर नित्य पियें। इसके बाद शौच के लिए जाएं। फिर 3 से 4 किलोमीटर टहलें और हल्का व्यायाम करें।

नाश्ते में पराठें, ब्रैड, सीरियल या पोहे की जगह रसदार फल खाएं और मख्खन निकला मट्ठा पियें।

दोपहर और रात के भोजन में गेंहू की जगह जौं के आटे की एक-दो रोटी लें, उबली या कम घी में फ़्राय सब्ज़ी तथा सूप लें। डब्बाबंद तेल का प्रयोग कभी ना करें।

खाने के तुरंत बाद पानी पीने से भी मोटापा बढ़ता है क्यूंकि इससे जठराग्नि मंद होती है और शरीर खाने को ऊर्जा की बजाय चर्बी में बदल देता है।

क्रोध, चिंता और शोक ये स्वास्थ्य और सौंदर्य का नाश करते हैं अतः इनसे बचें।

चुटकुला: स्वर्ग के देव और लालू



एक बार एक देव ने पृथ्वीलोक के तीन नेताओं को सही उत्तर बताने पर स्वर्ग का न्योता भेजा। इसमें तीन नेता चुने गए-

1. सोनिया गाँधी
2. नरेंद्र मोदी
3. लालू प्रसाद यादव


देव का पहला सवाल - 

सोनिया से: चूहा की स्पेलिंग बताओ।
सोनिया: RAT
मोदी से: बिल्ली
की स्पेलिंग।
मोदी: CAT

लालू से: चकोस्लोवाकिया की स्पेलिंग।
लालू: धत बुड़बक! इ सबसे चूहा-बिल्ली, आ हमरा से चकोस्लोवाकिया। ई सब नए होगा फेर से
पुछिये।


देव बोले, ठीक है अगला सवाल -


सोनिया से: यह एक लडका है , की अंग्रेजी बताओ।
सोनिया: This is a boy
मोदी से: वह एक लडकी है ,
की अंग्रेजी बनाओ।
मोदी: That is a girl
लालू से: हरा पेड़ चर्रर्रर्र से गिर गया, की अंग्रेजी बनाओ।
लालू: ई का उ सबसे लड़का -लड़की, आ हमरा से चर्रर्र पर्रर्र। फेर से फेर से नै-नै फेर से, फेर से होगा।
देव बोले, लालू जी आप तो बच्चों की तरह जिद कर रहे हैं। आखिरी मौका दे रहा हू बस।


सोनिया से: जलियावाला बाग हत्याकांड कब हुआ था?
सोनिया: 1919 में।
देव: ठीक है स्वर्ग मे जाओ।
मोदी से: उस हत्याकांड मे कितने लोग मरे थे?
मोदी: यही कोई दस हजार लोग।
देव: ठीक है स्वर्ग मे जाओ।
लालू से: उन दस हजार के नाम बताओ।
लालू बेहोश

जानिए किन लोगों के लिए दिन में सोना निषेध नहीं है



वैसे तो दिन में सोना वर्जित है पर आयुर्वेद के अनुसार इन लोगों के लिए दिन में सोना निषेध नहीं है -

१) अति अध्ययन या अति मानसिक कार्य से थके हुए लोग,

२) जिसे वमन या अतिसार हुआ हो,

३) जो शारीरिक श्रम करता हो अथवा पैदल यात्रा करता हो,

४) जसका भोजन अच्छे से पच गया हो,

५) जिसे फेफड़ों की बीमारी हो या श्वासरोग से ग्रस्त हो,

६) जिसे चोट लगी हो,

७) जो पागल हो,

८) जो नियमित रात्रिजागरण करता हो जैसे प्रहरी सैनिक इत्यादि,

९) जो भय, क्रोध आदि मनोवेगों से गंभीर रूप से ग्रस्त हो,

१०) छोटे बच्चे एवं वृद्ध।

उपरोक्त अवस्थाओं वाले व्यक्ति दिन में सो सकते हैं। ऐसे व्यक्ति यदि दिन में सोते हैं तो उनकी धातुएं सम हो जाती हैं एवं शरीर में बल एवं क्षमत्व की वृद्धि होती है।

इसके अतिरिक्त ग्रीष्म ऋतु में प्रत्येक व्यक्ति को दिन में निद्रा सेवन करना चाहिए क्योंकि ग्रीष्म ऋतु में सूर्य की किरणें शरीर से जल का शोषण करती हैं परिणामतः शरीर में सूखेपन के कारण वायु का संचय होने लगता है। ऐसे में जब गर्मियों में व्यक्ति दिन में सोता है तो कफ की वृद्धि होती है और वायु का शमन होता है।

यह भी पढ़ें 

30 जून 2015

खून की कमी के लिए



एक गिलास पानी में एक नीम्बू निचोड़ लें तत्पश्चात उसमे 25 ग्राम किशमिश डालकर रात भर गला रहने दें। सुबह उठकर भीगी हुई किशमिश खाते जाएं और यह पानी पीते जाएं। इस प्रयोग से शरीर में रक्त बढ़ता है।

जुखाम का प्राकृतिक इलाज



जुखाम होने पर एक साबुत नीम्बू (बिना कटा हुआ) को धोकर एक गिलास पानी में उबाल लें। उबल जाने पर उसे काटकर उसका रस इसी गरम पानी में निचोड़ लें। फिर इस पानी में 2 चम्मच शहद और 1 चम्मच अदरक का रस मिलाकर पियें। जुखाम ठीक हो जाएगा।


गंजापन दूर करने के दो नुस्खे



गंजापन आधुनिक जीवनशैली का एक गंभीर दुष्परिणाम है। कई युवा आज बाल झड़ने और गंजेपन की वजह से चिंतित रहते हैं। प्रस्तुत हैं 2 नुस्खे जिन्हें नियमित रूप से आजमाने से गए हुए बाल वापस आ जाते हैं -

1) नीम्बू के बीजों पर उसका सारा रस निचोड़ कर पीसकर गंजेपन से प्रभावित जगह पर लेप करें। 4-5 महीने लगातार लगाने पर बाल उग आते हैं।

2) तीन चम्मच चने के बेसन में एक नीम्बू का रस और थोड़ा पानी डालकर गाढ़ा सा घोल बना लें। उसे सर पर लगाकर सूखने दें। सूखने के बाद धो लें।  उसके पश्चात समान मात्रा में नारियल का तेल और नीम्बू का मिलकर सर में लगाएं। बाल आ जाएंगे।

नियमित रूप से प्रयोग करें।

बुढ़ापा दूर रखने वाला संजीवनी पेय



प्रकृति के नियमानुसार बुढ़ापा आना तो निश्चित हैं पर उचित आहार-विहार और स्वास्थ्यरक्षक नियमों का पालन करके इसे यथासंभव दूर रखा जा सकता है। इस दिशा में एक सफल सिध्द अनुभूत प्रयोग यहां प्रस्तुत किया जा रहा है- 

शरीरशास्त्री वैज्ञानिकों का मानना है कि जब तक शरीर के कोषाणुओं (Cells) का पुनर्निर्माण ठीक-ठाक होता रहेगा, तब तक बुढ़ापा दूर रहेगा और शरीर युवा बना रहेगा। जब इस प्रक्रिय में विघ्न पड़ता है और कोषाणुओं के पुनर्निर्माण की गति मंद होने लगती है, तब शरीर बूढ़ा होने लगता है।

इस वैज्ञानिक विश्लेषण से एक निष्कर्ष यह निकला कि यदि विटामिन ई, विटामिन सी और कोलीन ये तीन तत्व पर्याप्त मात्रा में प्रतिदिन शरीर को आहार के माध्यम से मिलते रहें तो शरीर के कोषाणुओं का पुनर्निर्माण बदस्तूर ठीक से होता रहेगा और जब तक यह प्रक्रिया ठीक-ठीक चलती रहेगी, तब तक बुढ़ापा दूर रहेगा। बुढ़ापा आयेगा जरूर पर देर से आयेगा। इस निष्कर्ष पर विचार करके पूना के श्री श्रीधर अमृत भालेराव ने यह निश्चिय किया कि इन तीनों तत्वों को दवाओं के माध्यम से प्राप्त करने की अपेक्षा प्राकृतिक ढंग से, आहार द्वारा प्राप्त करना अधिक उत्तम और गुणकारी रहेगा। लिहाजा काफी खोजबीन और परिश्रम करके व इस नतीजे पर पहुंचे कि विटामिन ई अंकुरित गेहूं से, विटामिन सी नींबू, शहद और आंवले से एवं कोलीन मेथी दाने से प्राप्त किया जा सकता है। इन तीनों पदार्थों का सेवन करने के लिये उन्होंने यह फार्मूला बनाया-


40 ग्राम यानी 4 चम्मच [बड़े] गेहू और 10 ग्राम मेथीदाना- दोनों को 4-5 बार साफ पानी से अच्छी तरह धो लें, ताकि इन पर यदि कीटनाशक दवाओं का छिड़काव का प्रभाव हो तो दूर हो जाये। धोने के बाद आधा गिलास पानी में डालकर चौबीस घंटे तक रखें। चौबीस घंटे बाद पानी से निकालकर एक गीले तथा मोटे कपड़े में रखकर बांध दें और चौबीस घंटे तक हवा में लटका कर रखें। गिलास का पानी फेंकें नहीं, इस पानी में आधा नींबू निचोड़कर दो ग्राम सोंठ का चूर्ण डाल दें। इसमें 2 चम्मच शहद घोलकर सुबह खाली पेट पी लें। यह पेय बहुत शक्तिवर्धन, पाचक और स्फूर्तिदायक है, इसीलिये इसका नाम श्रीभालेराव ने संजीवनी पेय रखा है। चौबीस घंटे पूरे होने पर हवा में लटके कपड़े को उतारकर खोलें और गेहूं तथा मेथीदाना एक प्लेट में रखकर इस पर पिसी काली मिर्च और सेंधा नमक बुरक दें। गेहूं और मेथीदाना अंकुरित हो चुका होगा। इसे खूब चबा-चबाकर प्रात: खायें। यदि इसे मीठा करना चाहें तो काली मिर्च और नमक न डालकर गुड़ मसलकर डाल दें, शक्कर न डालें। यह मात्रा एक व्यक्ति के लिये हैं।

इस फार्मूले का सेवन करने से तीन तत्व तो शरीर को प्राप्त होते ही हैं, साथ ही एनजाइम्स, लाइसिन, आइसोल्यूसिन, मेथोनाइन आदि स्वास्थ्यवर्धक पौष्टिक तत्व भी प्राप्त होते हैं। यह फार्मूला सस्ता भी है और बनाने में सरल भी इसमें गजब की शक्ति है, यह स्फूर्ति और पुष्टि देने वाला है। इस प्रयोग को प्रौढ़ ही नहीं, वृध्द स्त्री पुरुष भी कर सकते हैं। यदि दांत न हों या कमजोर हों तो वे अंकुरित अन्न चबा नहीं सकते, ऐसी स्थिति में निम्नलिखित फार्मूले का सेवन करना चाहिए-

प्रात:काल एक कटोरी गेहूं और तीन चम्मच मेथीदाना अच्छी तरह धो-साफ कर चार कप पानी में डालकर चौबीस घंटे रखें। दूसरे दिन सुबह इसका एक कप पानी लेकर नींबू तथा शहद डालकर पी लें। शेष तीन कप पानी निकाल कर फ्रिज में रख दें। यदि फ्रिज न हो तो पानी गिलास में डालकर गिलास पर गीला कपड़ा लपेट दें और गिलास ठंडे पानी में रख दें और ढंक दें, ताकि पानी शाम तक खराब न हो। इस पानी को शाम तक एक कप पीकर समाप्त कर दें। गेहूं और मेथीदाने को फेंकें नहीं बल्कि फिर से 4 कप पानी में डालकर रख दें। दूसरे दिन सुबह 1 कप पानी और शेष दिन भर में पी लें। अब नया गेहूं तथा मेथीदाना लें और सुबह पानी में डालकर रख दें। दो दिन तक भिगोये हुए गेहूं और मेथी दाने को सुखा लें और पिसाने के रखे गये गेहूं में मिला दें। इस तरह बिना दांत वाले भी इस नुस्खे का सेवन कर लाभ उठा सकते हैं।

सौजन्य: कल्याण, आरोग्य अंक 2001, पृष्ठ संख्या 358

हार्ट अटैक आने पर तुरंत करें यह प्रयोग, बच सकती है जान



हार्ट अटैक या हृदयाघात हल्के में लेने वाली बात नहीं है। यदि आपके आसपास कोई हृदयरोगी है तो यह जानकारी अटैक आने पर उसकी जान बचा सकती है।

बीमारियों से होने वाली मौतों में सबसे ज़्यादा मौतें हृदयरोगों के कारण होती हैं। अमरीकी हर्बलिस्ट (वनस्पति शास्त्री) डॉ. क्रिस्टोफर दावा करते हैं कि उनके 35 वर्षों के अनुभव में उनका एक भी मरीज़ हृदयाघात से नहीं मरा। इसका श्रेय वे लाल मिर्च (Ceyenne Pepper) को देते हैं।

हार्ट अटैक रोकने के लिए मरीज़ को लाल मिर्च की चाय पिलाने से उसकी जान बचाई जा सकती है। इसके लिए एक कप पानी में एक टेबलस्पून लाल मिर्च मिला लें। फिर इस मिश्रण की 5 से 10 बूँद मरीज़ को पिला दें। यदि स्थिति में सुधार ना हो तो 5 मिनट के बाद दोबारा 5 से 10 बूँद पिलाएं।


लाल मिर्च में ऐसा क्या होता है?

दरअसल लाल मिर्च हृदय गति को बढ़ा देती है जिससे शरीर के महत्वपूर्ण अंगों में रक्त संचार में आसानी होती है। इससे अंगों के काम ना करने के कारण होने वाली मौत से बचा जा सकता है।

इस प्रयोग को सिर्फ प्राथमिक उपचार ही समझें। हार्ट अटैक आने होने की परिस्थिति में तुरंत डॉक्टर को बुलाएं। लेकिन ऐसा करने से उतने समय तक मरीज को बचाया रखा जा सकता है।

डॉ. क्रिस्टोफर की वेबसाइट की लिंक यहाँ उपलब्ध है - www.christopherwebsites.com

29 जून 2015

दिल का कैंसर इतना कम सुनने में क्यों आता है?



तरह तरह के कैंसर के बारे में आए दिन सुनते रहते हैं जैसे ब्लड कैंसर और लंग कैंसर इत्यदि। पर क्या आपने कभी सोचा कि दिल के कैंसर के बारे में इतना कम क्यों सुनाई देता है?


दरअसल कैंसर शरीर के उस हिस्से में ज़्यादा पनपता है जहाँ पर कोशिकाओं की पुनर्वृद्धि और विभाजन तेज़ी से होता है। हमारे हृदय की कोशिकाएं उस तेज़ी से विभाजित नहीं होती इसलिए दिल के कैंसर की संभावना बहुत कम होती है। साथ ही दिल के कैंसर के मरीज़ ज़्यादा समय तक जीवित भी नहीं रह पाते इसलिए उनके बारे में कम ही सुनने को मिलता है।

28 जून 2015

कहीं आप भी तो इसी तरह टॉयलेट फ्लश नहीं करते?



पश्चिमी बनावट वाली टॉयलेट सीटों को अक्सर लोग गलत ढंग से फ्लश करते हैं। एरिज़ोना विश्वविद्यालय के माईक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ. चार्ल्स गेरबा चेतावनी देते हुए कहते हैं कि टॉयलेट सीट के ढक्कन को हमेशा बंद करके ही फ्लश करना चाहिए। यदि ऐसा नहीं किया जाता तो संकमित एवं प्रदूषित पानी के कण बाहर निकलकर कुछ घंटों के लिए हवा में तैरते रहते हैं और इसके बाद जब वे नीचे गिरते हैं तो संपर्क में आई हर वस्तु को संक्रमित कर देते हैं। उनमें से एक आपका टूथब्रश भी हो सकता है। और ऐसा होना कभी भी आपकी सेहत पर भरी पड़ सकता है। इसलिए जब भी टॉयलेट फ्लश करें तो ध्यान रखें कि उसका ढक्कन बंद रखा जाए।

क्या आप पहले कभी दौड़ा करते थे और अब नहीं, वापसी आपकी उम्मीद से कहीं आसान है!



क्या आप पहले कभी दौड़ा करते थे और फिर जीवन की व्यस्तताओं के चलते बंद कर दिया? और अब यह सोच के सहस नहीं जुटा पाते कि फिर से नई शुरुआत करनी पड़ेगी जो कि एक थकाऊ और चुनौती भरा काम होगा। यदि आप ऐसा समझते हैं तो आपके लिए एक खुशखबरी है। जिस तरह से हमारे मस्तिष्क की याद्दाश्त होती है उसी तरह हमारी मांसपेशियों की भी याद्दाश्त होती है।

यदि आप सालों पहले भी कभी दौड़ा करते थे तो आपकी मांसपेशियों में अभी भी उसकी याद्दाश्त सुरक्षित है। इसका तात्पर्य यह है कि नए सिरे से शुरुआत करना भले ही आपको नया लगे लेकिन आपके शरीर के लिए यह पहली बार करने जैसा दुष्कर नहीं है।


इसके लिए आपको यह याद करने की ज़रूरत नहीं है कि दौड़ किस तरह लगाई जाये परन्तु आपको यह सोचना होगा कि कैसे अच्छी दौड़ लगाई जाए। इसके पीछे की थ्योरी यह है कि जब आप दौड़ा करते थे तब आपकी मांसपेशियाँ मजबूत होने की प्रक्रिया में आपका शरीर कुछ प्रोटीन बनाता था जिसमें मजबूत मांसपेशियों से सम्बंधित डीएनए होता था। दौड़ना बंद करने के बाद भी यह प्रोटीन आपके शरीर में मौजूद रहता है इसलिए जब भी आप दोबारा आप दौड़ना शुरू करना चाहें तो आपको आपकी सोच से बहुत काम परेशानी होगी।

इसलिए यदि ये सोच कर आप दौड़ना शुरू नहीं कर पा रहे हैं कि वो तो पहले की बात थी तो आज ही मन बना लीजिए। आपका शरीर इसके लिए तैयार है, ज़रुरत है आपके भी तैयार होने की!

बेमतलब है इस तरह से लहसुन खाना (महत्वपूर्ण जानकारी)


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विटामिन C के विपरीत, लहसुन में पाया जाने वाला कैंसर से लड़ने में सक्षम एन्ज़ाइम एलिसिन (allicin) सिर्फ तभी सक्रिय हो पाता है जब वह हवा से प्रतिक्रिया करे। इसलिए लहसुन छीलने के बाद उसे थोड़ा काटकर कम से कम 10 मिनट तक हवा में रखने के बाद ही इस्तेमाल में लें।

स्रोत: Sara Haas, consultant & Dietitian, Academy of Nutrition and Dietetics, Cleveland, Ohio.

27 जून 2015

तीन चेहरे



एक जापानी कहावत है कि आपके 3 चेहरे होते हैं। पहला चेहरा जो आप सारी दुनिया के सामने रखते हैं। दूसरा चेहरा जो आप अपने घनिष्ठ मित्रों और परिवार को दिखाते हैं। और तीसरा चेहरा जो आप कभी किसी को नहीं दिखाते। वही आपके व्यक्तित्व का वास्तविक प्रतिबिम्ब है।

त्यौहार जिसमें होती है कुत्तों की पूजा






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हाल ही में चीन के यूलिन फेस्टिवल ने दुनिया भर के लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचा था जिसमें कुत्तों को मारकर खाया है। तमाम विरोधों के बावजूद चीन ने इस आयोजन को बंद करने का फैसला नहीं लिया। वहीं हमारे पड़ोसी देश नेपाल में एक त्यौहार ऐसा भी मनाया जाता है जिसमें हमारे सबसे अच्छे और निःस्वार्थ दोस्त की पूजा की जाती है।




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इस हिन्दू देश में पाँच दिनों के दीपावली के त्यौहार के दूसरे दिन 'कुकुर तिहार' मनाया जाता है। इस उत्सव का आयोजन कुत्तों को उनकी की दोस्ती के लिए कृतज्ञता प्रकट करने के लिए किया जाता है।



festival for dogs
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लोग इस दिन कुत्तों को माला पहनाते हैं और उन्हें स्वादिष्ट व्यंजन खिलाए जाते हैं।

festival for dogs






festival for dogs
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tihar
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26 जून 2015

शराब से दूर रहने की कुछ दिलचस्प वजहें



कुछ देर का मज़ा और बदले में ज़िंदगी भर की परेशानियाँ। यही है शराब सच्चाई। यदि आपने कभी शराब का सेवन किया होगा तो आपसे बेहतर इसे कोई नहीं समझ सकता।

पता ही नहीं चलता कि कब एकाध सोशल ड्रिंक से कब हम शराब के आदी होते चले जाते हैं। एक समय ऐसा भी आता है जब लोग चाह कर भी शराब की गिरफ्त से बाहर नहीं निकल पाते। पढ़ते हैं शराब से दूर रहने की कुछ खास वजहें जिनको जानकर आपको एहसास होगा कि शराब से बाहर भी एक ज़िंदगी है जो कि बेहद खूबसूरत है।

1. कोई पछतावा नहीं


याद कीजिए वो स्थिति जब सुबह उठकर पिछली रात के बारे में सोच कर शर्मिंदगी और दुःख होता है । भले ही ये बात आप जानते हों कि वह आप नहीं थे पर वह शराब थी लेकिन आज लोगों का सामना तो आपको ही करना है।

2. कोई हैंगओवर नहीं


शराब नहीं तो हैंगओवर नहीं। कैसा हो जब सुबह उठकर आप ऊर्जा से भरे हुए हों? यही अपने आप में शराब को ना कहने की एक बहुत बड़ी वजह है।

3. पैसों की बचत


शराब पीना हमेशा खर्चीला ही होता है। आप घर पर ही पियें तब भी। ज़रा उन चीज़ों के बारे में सोचे जो आपके सिर्फ एक दिन शराब ना पीने से आप खरीद सकते हैं।

4. स्वस्थ इमोशनल स्टेट


ना शराब होगी और ना पिछली बातों को याद करके सबके सामने रोना-धोना ही होगा। आपकी छबि आप स्वयं ही एक कमज़ोर व्यक्ति की तरह पेश क्यों करें जब इसका आपसे कोई संबंध ही नहीं है।

5. सोबर होना हमेशा ही अच्छा है


शराब हमारे सोचने समझने की शक्ति को नष्ट कर  देती है। इन्द्रियों के कमज़ोर हो जाने पर प्राणशक्ति घट जाने से हमारा जीवन भी निस्तेज हो जाता है। जीवन का असली आनंद मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ होकर ही लिया जा सकता है।



6. स्वास्थ्य


शराब पीने के स्वास्थ्य पर होने वाले दुष्परिणामों का कोई अंत ही नहीं है। यदि आप शराब के आदी हैं तो आप कभी भी मोटापे, डायबिटीज़ एवं किडनी फेल होने के शिकार हो सकते हैं। इन सबसे बढ़कर आपको कोई भी अपना आदर्श नहीं बनाना चाहेगा।

7. नई ज़िंदगी नया आनंद


एक बार शराब छोड़ने पर आप उन चीज़ों का आनंद ले पाएंगे जो आपने पहले कभी अनुभव ही नहीं की थीं। हो सकता है आप पर टेनिस खेलने का ही शौक सवार हो जाए।

8. मिलेंगे बेहतर दोस्त 


शराब से दूर हो जाने के बाद जब आप कभी अपने पुराने शराबी दोस्तों से टकराएंगे तो आप खुद से ही सवाल करेंगे कि "मैं क्यों कभी ऐसा था।" बिना नशे में जिन्हें आपको उन्हें समाज में अपना दोस्त कहना भी पसंद नहीं है वो ही शराब पीते समय कभी आपको बड़े अपने लगते थे।

9. कोई कानूनी झमेले नहीं


शराब कई फसादों की जड़ है। चाहे वह शराब पीकर गाड़ी चलाना हो या बेवजह किसी मामूली से विवाद के कारण अदालतों के चक्कर काटना। किसी भी एक शाम को शराब पीकर इतना हसीन नहीं बनाया जा सकता जिसकी भरपाई करने में सालों लग जाएं।

10. दिखने लगेंगे आकर्षक


शराब में मौजूद फ्री रेडिकल और अन्य विषैले तत्व या टॉक्सिन्स आपकी उम्र बढ़ने की रफ़्तार बढ़ा डालते हैं। ज़रा अपने आसपास किसी ऐसे व्यक्ति पर नज़र डालिये जो पिछले कई सालों से शराब का आदी हो। क्या आप भी वैसा दिखना पसंद करेंगे?

11. महसूस करेंगे अच्छा


शराब छोड़ने के बाद आपके शरीर का इन टॉक्सिन्स से मुक्त होने पर आप स्वाभाविक ही एक नया जीवन और प्राणशक्ति को महसूस करने लगेंगे।

और क्या वजह है आपके पास आज ही शराब से दूर हो जाने के लिए। कमेंट करके बताइएगा ज़रूर।

पप्पू का इलाज


जॉब नहीं मिली तो एक आदमी ने क्लिनिक खोला और बाहर लिखा:

तीन सौ रुपए में इलाज करवाएं और इलाज नहीं हुआ तो एक हजार रुपए वापस। 

पप्पू ने सोचा कि एक हजार रुपये कमाने का अच्छा मौका है। 

वह क्लिनिक पर गया और बोला : मुझे किसी भी चीज का स्वाद नही आता है। 

डॉक्टर: बॉक्स नंबर 22 से दवा निकालो और 3 बूंद पिलाओ। 

नर्स ने पिला दी। 

मरीज : ये तो पेट्रोल है। 

संता: मुबारक हो आपको टेस्ट महसूस हो गया। 

लाओ तीन सौ रुपये 

पप्पू को गुस्सा आ गया। कुछ दिन बाद फिर वापस गया अपने पुराने पैसे वसूलने। 

मरीज : साहब, मेरी याद्दाश्त कमजोर हो गई है। 

डॉक्टर : बॉक्स नंबर 22 से दवा निकालो और 3 बूंद पिलाओ। 

मरीज : लेकिन, वह दवा तो जुबान की टेस्ट के लिए है। 

डॉक्टर : ये लो तुम्हारी याद्दाश्त भी वापस आ गई। 

लाओ तीन सौ रुपए। 

इस बार पप्पू गुस्से में गया और बोला: मेरी नजर कम हो गई है। 

डॉक्टर : इसकी दवा मेरे पास नहीं है। लो एक हजार रुपये। 

पप्पू : यह तो पांच सौ का नोट है। 

डॉक्टर: आ गई नज़र। दे ये वापस और निकाल तीन सौ रुपये।

25 जून 2015

शकर के कुछ घातक दुष्परिणाम


क्या आप जानते हैं कि वे सभी कार्बोहाइड्रेट जो पानी में आसानी से घुल जाते हैं वे सभी शर्करा ही कहलाते हैं? वे रंगहीन और गंधहीन होते हैं तथा वे सभी स्वाद में मीठे होते हैं। शकर एक मादक पदार्थ है जिसकी लत हमें ड्रग्स की तरह ही पड़ सकती है। इसके परिणाम भी ड्रग्स लेने की तरह ही घातक सिद्ध हो सकते हैं। शकर खाने के 6 घंटे बाद तक हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बुरी तरह से प्रभावित रहती है जिससे कीटाणु और वायरस आसानी से हमें बीमार कर सकते हैं। इसके अलावा शकर खाने के कारण हमारी पौष्टिक भोजन जैसे सलाद सब्ज़ियाँ इत्यादि खाने की इच्छा खत्म होती चली जाती है जिससे हम कुपोषण का शिकार भी बन सकते हैं।

शकर के कुछ घातक दुष्परिणाम

  • कोकीन की तरह शकर की भी लत लग सकती है। डॉ. रॉबर्ट लस्टविंग (एंडोक्राइनोलॉजिस्ट) के अनुसार जब भी हम शकर खाते हैं तो कोकीन की ही तरह हमारा शरीर डोपमीन पैदा करता है, यह एक ऐसा न्यूरोट्रांसमीटर है जो कुछ समय के लिए हमें क्षणिक आनंद प्रदान करता है।
  • शकर का अत्यधिक प्रयोग करने से कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है। शकर खाने से बढे हुए मोटापे के कारण शरीर में इन्सुलिन की मात्रा बढ़ जाती है जिससे कैंसर की कोशिकाओं को बढ़ने में मदद मिलती है।
  • शकर खाना आपके दिल की सेहत के लिए भी अच्छा नहीं है। अधिक मात्रा में शकर का सेवन करने से आपके रक्त में ट्राईग्लिसेराइड की मात्रा बढ़ जाती है जो कि एक प्रकार का वसा ही है जो शकर से मिली कैलोरीज़ को जमा करता है।
  • शकर आपके लीवर को प्रभावित करती है। जब भी हम शकर खाते हैं तो शरीर में इन्सुलिन बनता है। फिर लीवर इस इन्सुलिन के कारण आपका लीवर आपके रक्त में पाई जाने वाली शर्करा को ग्लाइकोजिन में बदल देता है और अंततः यह ग्लाइकोजिन फैट के रूप में लीवर में जमा हो जाता है।
  • यह आपके मस्तिष्क को भी नुकसान पहुंचाती है। कुछ शुरुआती शोधों से पता चला है कि हाई ब्लडशुगर लेवल आपकी याददाश्त को भी प्रभावित करता है।
  • शकर खाना मुंहांसों का भी कारण बन सकता है। हालांकि भोजन और मुंहांसों के बीच सम्बन्ध को लेकर काफी विवाद है फिर भी कुछ शोध बताते हैं कि शकर खाने से ऐसे हारमोन निकलने लगते हैं जो तेल का स्राव करते हैं जिनसे मुहांसे ठीक होने में और भी परेशानी होती है।
  • शकर कहने से मुंह में बैक्टीरिया की संख्या बढ़ जाती है जिससे दांतों में कैविटी हो सकती है।

संक्षेप में..... 

अब जब आप जान चुके हैं कि किस तरह से शकर आपकी सेहत को प्रभावित करती है तो आपको अब कुछ भी कहते समय यह देख लेना चाहिए कि उसमें शकर की मात्रा कितनी है और वह किस प्रकार से आपके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती है।

जानिए मानव शरीर से जुड़ी 9 बेहद दिलचस्प जानकारियां



मानव शरीर ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचना है। यह हज़ारों काम करता है। भले ही उसके कुछ कार्य देखने में मामूली से लगें परन्तु वे अच्छे स्वास्थ्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। आइए मानव शरीर सेजुड़ी कुछ रोचक जानकारियों के बारे में बात करते हैं जो शायद आपको पहले नहीं पता होंगी।

1. मानव शरीर में बालों की संख्या चिम्पैंजी के बराबर ही होती है



एक वयस्क मानव शरीर में बालों की संख्या उतनी ही होती है जितनी किसी चिम्पैंजी के शरीर में। अंतर बस इतना है की मानव शरीर के बाल चिम्पैंजी के बालों की तुलना में बहुत महीन और पतले होते हैं। साथ ही मानव शरीर ने अपने विकासक्रम में कपड़े पहनने के बाद से बालों के माध्यम से अपने शरीर की सुरक्षा और तापमान बनाए रखने की क्षमता खो दी है।

2. रोंगटे क्यों खड़े होते हैं?



अपने कई बार अपने शरीर में रोंगटे खड़े होते हुए अनुभव किए होंगे। ऐसा पिलोमोटर रिफ्लेक्स के कारण होता है। आदिकाल में जब भी मानव को किसी प्रकार के खतरे की आशंका होती थी या उसे अपना तापमान बढ़ाने की आवश्यकता पड़ती थी तो उसके रोंगटे खड़े हो जाते थे। जिससे उसके बालों के आकार में कुछ बढ़ोत्तरी हो जाया करती थी। हालाँकि शरीर का यह गुण अब उपेक्षित हो गया है लेकिन विकासक्रम के उस दौर के लक्षण आज भी रोंगटे के रूप में हमारे साथ हैं।

3. जीवन भर में पलक झपकाने में हुआ व्यतीत कुल समय

एक औसत मानव शरीर अपने पूरे जीवनकाल में लगभग पांच वर्ष पलक झपकाने में व्यतीत करता है। यह प्रक्रिया आँखों के लिए बहुत ही उपयोगी है क्यूंकि इससे आँखों की सुरक्षा होती है। पलक झपकने से आँखों में चिकनाहट और नमी भी बनी रहती है जिसके अभाव में आँखें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो सकती हैं।

4. उलटे हाथ से काम करने वाले ज़्यादा ताकतवर होते हैं


भले ही इसका कारण भौतिकी के नियम हों लेकिन यह सच है कि उलटे हाथ से कार्य करने वाले लोग सीधे हाथ से कार्य करने वाले लोगों की तुलना में अधिक ताकतवर होते हैं। उदाहरण के लिए उलटे हाथ से कार्य करने वाले व्यक्ति किसी डब्बे के टाइट लगे ढक्कन को सीधे हाथ से कार्य करने वाले व्यक्ति की तुलना में आसानी से खोल देंगे। हालांकि जब डब्बा बंद करने की बात हो तो इसमें सीधे हाथ से कार्य करने वाले व्यक्ति को ज़्यादा आसानी होगी।

5. हमारे पेट में एसिड होता है

हमारे पेट या आमाशय में क्लोरिक एसिड पाया जाता है जिसका निर्माण आमाशय में उपस्थित कोशिकाएं करती हैं। आद्योगिक स्तर पर इस एसिड का प्रयोग धातुशोधन में भी किया जाता है क्यूंकि क्लोरिक एसिड बहुत ही तेज़ होता है।

6. शरीर अरबों बैक्टीरियाओं का घर

हमारे शरीर में अरबों बैक्टीरिया रहते हैं। तथ्य तो यह है कि इनकी संख्या हमारे शरीर की सारी कोशिकाओं की संख्या से दस गुने से भी ज़्यादा होती है। इसका यह अर्थ नहीं है कि ये सारे बैक्टीरिया हमारे लिए नुकसानदायक हों बल्कि कुछ बैक्टीरिया हमारे अच्छे स्वास्थ्य के लिए बेहद ज़रूरी भी हैं।

7. झपकी लगना आपकी सेहत के लिए अच्छा है

20 मिनट की एक झपकी सेहत से जुड़ी कई समस्याओं से आपको बचा सकती है। यह एकाग्रता को बढाती है। साथ ही यह आपके मूड को भी अच्छा रखती है। क्रियाशीलता बढ़ाने में भी यह बहुत महत्वपूर्ण है।

8. ढेर सारी मृत कोशिकाएं

प्रतिदिन हमारे शरीर में लाखों कोशिकाएं मरती हैं। जिनमें से सबसे ज़्यादा त्वचा की कोशिकाएं होती हैं। एक साल में मरी हुई कोशिकाओं को तौला जाए तो उनका कुल वज़न लगभग 2 किलो होगा।

9. संवेदनशीलता

हमारे शरीर में कई तंत्रिकाएं होती हैं जिनके सिरे हमारी त्वचा पर होते हैं। जिनके माध्यम से ही हम वस्तुओं के स्पर्श को अनुभव कर पाते हैं। हमारे शरीर का सबसे संवेदनशील भाग हमारे होठों और उँगलियों पर होता है जबकि काम संवेदनशील भाग हमारी पीठ के बीच का हिस्सा होता है।