हम सभी को कभी ना कभी सरदर्द की शिकायत होती रहती है। सामान्य रूप से इसका कारण तनाव अथवा पानी की कमी हो सकती है। अधिकतर सरदर्द का उपचार आसानी से ही हो जाया करता है। परंतु कभी कभी सामान्य सा समझा जाने वाला सरदर्द भी विकराल समस्या बन जाता है।
ऐसा ही कुछ 20 वर्षीया स्टेफनी लिप्स्कॉम्ब के साथ हुआ। उनके सर के दर्द की इंतेहां होने पर जब उन्होंने चिकित्सकीय सहायता ली तब उन्हें एक ऐसी खबर मिली जिसके बारे में उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था। उन्हें ग्लायोब्लास्टोमा था अर्थात उनके मस्तिष्क में कैंसर संक्रमित टेनिस की एक गेंद के बराबर ट्यूमर था।
बिना समय गंवाए उन्हें कीमोथेरेपी और रेडिएशन दिया गया ताकि उनका ट्यूमर नष्ट हो सके परंतु ये सारे चिकित्सकीय प्रयास किसी काम के साबित नहीं हुए और उनका ट्यूमर जस का तस बना रहा।
उम्मीद की कोई किरण ना दिखने पर अंततः उनके डॉक्टरों ने कुछ ऐसा किया जो पहले कभी नहीं किया गया था। उन्हें पोलियो वायरस से संक्रमित करवाया गया। उनके डॉक्टरों को उम्मीद थी कि ऐसा किये जाने से स्टेफनी का रोग प्रतिरोधक तंत्र काम करने लगेगा और पोलियो वायरस (आनुवांशिकीय रूप से परिवर्तित) के साथ ही उनकी कैंसरयुक्त कोशकाओं का भी सफाया हो जाएगा। हालांकि इस प्रयोग में उनकी जान का खतरा भी था।
चूंकि स्टेफनी के पास वैसे भी कुछ ही महीनों का समय बचा था इसलिए उन्होंने इस प्रयोग के लिए अपनी सहमति दे दी।
आश्चर्यजनक रूप से कुछ ही महीनों में स्टेफनी के मस्तिष्क से कैंसर की कोशिकाओं का सफाया हो गया। आज वे 23 वर्ष की हैं और सामान्य जीवन व्यतीत कर रहीं हैं।
अधिक जानकारी के लिए वीडियो देखें -
ऐसा ही कुछ 20 वर्षीया स्टेफनी लिप्स्कॉम्ब के साथ हुआ। उनके सर के दर्द की इंतेहां होने पर जब उन्होंने चिकित्सकीय सहायता ली तब उन्हें एक ऐसी खबर मिली जिसके बारे में उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था। उन्हें ग्लायोब्लास्टोमा था अर्थात उनके मस्तिष्क में कैंसर संक्रमित टेनिस की एक गेंद के बराबर ट्यूमर था।
बिना समय गंवाए उन्हें कीमोथेरेपी और रेडिएशन दिया गया ताकि उनका ट्यूमर नष्ट हो सके परंतु ये सारे चिकित्सकीय प्रयास किसी काम के साबित नहीं हुए और उनका ट्यूमर जस का तस बना रहा।
उम्मीद की कोई किरण ना दिखने पर अंततः उनके डॉक्टरों ने कुछ ऐसा किया जो पहले कभी नहीं किया गया था। उन्हें पोलियो वायरस से संक्रमित करवाया गया। उनके डॉक्टरों को उम्मीद थी कि ऐसा किये जाने से स्टेफनी का रोग प्रतिरोधक तंत्र काम करने लगेगा और पोलियो वायरस (आनुवांशिकीय रूप से परिवर्तित) के साथ ही उनकी कैंसरयुक्त कोशकाओं का भी सफाया हो जाएगा। हालांकि इस प्रयोग में उनकी जान का खतरा भी था।
चूंकि स्टेफनी के पास वैसे भी कुछ ही महीनों का समय बचा था इसलिए उन्होंने इस प्रयोग के लिए अपनी सहमति दे दी।
आश्चर्यजनक रूप से कुछ ही महीनों में स्टेफनी के मस्तिष्क से कैंसर की कोशिकाओं का सफाया हो गया। आज वे 23 वर्ष की हैं और सामान्य जीवन व्यतीत कर रहीं हैं।
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