मोतियाबिंद आँखों का एक ऐसा रोग है जिसके कारण सबसे ज़्यादा लोग अपनी आँखों की रोशनी खो देते हैं। सामान्यतया यह रोग 60 की आयु पार कर लेने के बाद होता है लेकिन आजकल यह कम उम्र के लोगों में भी देखा जाने लगा है।
इस रोग के कारण आँखों का लेंस धीमे-धीमे अपनी पारदर्शिता खोने लगता है एवं जब लेंस के धुंधले हो जाने के कारण देखने में परेशानी होने लगती है तो इस स्थिति को मोतियाबिंद कहा जाता है।
अंगेज़ी दवा पद्धति में इसका उपचार शल्य क्रिया ही है। मोतियाबिंद का ऑपरेशन हालांकि एक सरल और सुरक्षित ऑपरेशन है फिर भी आयुर्वेद में वर्णित दवाओं से भी मोतियाबिंद से छुटकारा पाया जा सकता है। आइये जानते हैं कि घरेलू उपचार के द्वारा आप मोतियाबिंद से कैसे निजात पा सकते हैं-
उपचार
शहद
स्वस्थ आँखों में शहद की एक बून्द प्रतिदिन डालने से कभी मोतियाबिंद नहीं होता इसलिए इस रोग से बचने के लिए हमेशा आँखों में शहद डालने की आदत बनाएं।
जिनको मोतियाबिंद हो चुका है वे 50 मिली छोटी मधुमक्खी के शहद के साथ सफ़ेद प्याज़ का रस 10 मिली अदरक का रस 10 मिली और नीम्बू का रस 10 मिली मिलाकर इसे छानकर रख लें। इस मिश्रण की नित्य 2-2 बून्द आंखों में डालने से मोतियाबिंद नष्ट हो जाता है।
बादाम
रात को भिगोकर रखी गयीं 4-5 बादाम के साथ रोज़ सुबह 4-5 काली मिर्च थोड़ी सी मिश्री के साथ चबाकर खाने के बाद दूध के सेवन से मोतियाबिंद नष्ट हो जाता है।
स्वमूत्र
शुरुआती मोतियाबिंद में स्वमूत्र (स्वयं की पेशाब) का सेवन चमत्कारिक परिणाम देता है। स्वमूत्र को तुरंत उपयोग में नहीं लेना चाहिए। इसे भरकर 15-20 मिनट ढककर रख दें और ठंडा होने पर इससे आँखों को धोयें अथवा कुछ बून्द आँखों में डालें। इसके नित्य प्रयोग से 2-3 महीनों में ही मोतियाबिंद से छुटकारा मिल जाता है।
त्रिफला
10 ग्राम त्रिफला दिन में तीन बार एक छोटी चम्मच घी के साथ लेने से मोतियाबिंद में लाभ होता है।
सेंधा नमक
1 ग्राम सेंधा नमक और 5 ग्राम सतगिलोय को पीसकर रख लें तथा रोज़ सुबह-शाम इस चूर्ण को शहद मिलाकर आँखों में लगाने से जल्द मोतियाबिंद ठीक होता है।