मिलिए प्रशांत लिंगम से। उनकी कहानी एक ऐसी प्रेरणादायक कहानी है जिसे हर उस आदमी को सुनना चाहिए जो समझते हैं कि उनके साथ सिर्फ बुरा ही होता चला आया है और ज़िंदगी उन्हें कभी अच्छे दिन नहीं दिखाने वाली। प्रशांत लिंगम आज सफल व्यवसायी हैं जिनका स्टार्टअप आज एक करोड़ का टर्नओवर पार कर चुका है लेकिन उन्होंने कभी ऐसे भी दिन देखे जब उनपर 60 लाख का कर्ज़ा हो चुका था।
हममें से हर कोई किसी ना किसी सपने के साथ बड़ा होता है लेकिन दुनिया की भेड़चाल में चलना सबकी मज़बूरी बन जाता है लेकिन कुछ बिरले ही होते हैं जो लीक से हटकर अपने सपने को साकार करने की ठान लेते हैं और तब तक रुकने का नाम नहीं लेते जब तक की सफलता उन्हें मिल नहीं जाती।
ऐसा ही कुछ प्रशांत ने भी सोचा। उनका बिज़नेस आईडिया था बांसों का उपयोग कर घर बनाने का। यह विचार उनके मन में घर कर गया और वे निकल पड़े इस बिज़नेस को सफल बनाने में। लेकिन यह उनके लिए इतना आसान नहीं था।
वे बताते हैं कि आर्थिक रूप से उन्हें इतनी तंगी का सामना करना पड़ा कि जो भी कुछ 10-20 रूपए होते थे उसमें वो पत्नि-बच्चे सहित दिन में एक बार ही खाना खा पाते थे लेकिन उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी। पत्नि की बीमारी के चलते उनपर 60 लाख का क़र्ज़ हो गया। दिमाग में आत्महत्या जैसे ख्याल आने लगे लगे लेकिन उन्होंने जीवन में सकारात्मकता बनाए रखी और जो सामने था उसे ईमानदारी से निभाते चले गए। अपने सपने को साकार करने के लिए उन्होंने मेहनत करना कभी नहीं छोड़ा।
उनकी मेहनत रंग लायी और आज उनका स्टार्टअप एक सफल बिज़नेस मॉडल बन चुका है। उनके द्वारा बनाये जाने वाले बांस के घर की मांग ना सिर्फ में भारत से बल्कि दुनिया के अन्य देशों से भी आने लगी है।
किसी के गार्डन के लिए ये एक लग्ज़री हैं तो किसी और के लिए यह काम कीमत में आवास उपलब्ध करा रहे हैं।
उनका यह आईडिया पर्यावरण के लिए भी अच्छा है साथ ही साथ इससे बांस की खेती और कलाकारी करने वाले श्रमिकों को भी अच्छा जीवनस्तर मुहैया कराने का साधन बन गया है। बांस दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली प्रजातियों में से एक है। बांस की कुछ नस्लें तो एक दिन में तीन फ़ीट तक बढ़ सकती हैं।
उनका आईडिया यूनिक था। उन्हें इसकी बेहतर और लाभदायक होने पर विश्वास था। उन्होंने इसे अपने कल्पना की दुनिया से उतारकर वास्तविक दुनिया में साकार कर डाला। जीवन के इस उतर-चढ़ाव को भी बखूबी उन्होंने सम्हाला। वे कहते हैं कोशिश करते रहें, यदि एक बार हार भी जाते हैं तो यह पछताने से लाख गुना बेहतर है।
हममें से हर कोई किसी ना किसी सपने के साथ बड़ा होता है लेकिन दुनिया की भेड़चाल में चलना सबकी मज़बूरी बन जाता है लेकिन कुछ बिरले ही होते हैं जो लीक से हटकर अपने सपने को साकार करने की ठान लेते हैं और तब तक रुकने का नाम नहीं लेते जब तक की सफलता उन्हें मिल नहीं जाती।
ऐसा ही कुछ प्रशांत ने भी सोचा। उनका बिज़नेस आईडिया था बांसों का उपयोग कर घर बनाने का। यह विचार उनके मन में घर कर गया और वे निकल पड़े इस बिज़नेस को सफल बनाने में। लेकिन यह उनके लिए इतना आसान नहीं था।
वे बताते हैं कि आर्थिक रूप से उन्हें इतनी तंगी का सामना करना पड़ा कि जो भी कुछ 10-20 रूपए होते थे उसमें वो पत्नि-बच्चे सहित दिन में एक बार ही खाना खा पाते थे लेकिन उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी। पत्नि की बीमारी के चलते उनपर 60 लाख का क़र्ज़ हो गया। दिमाग में आत्महत्या जैसे ख्याल आने लगे लगे लेकिन उन्होंने जीवन में सकारात्मकता बनाए रखी और जो सामने था उसे ईमानदारी से निभाते चले गए। अपने सपने को साकार करने के लिए उन्होंने मेहनत करना कभी नहीं छोड़ा।
उनकी मेहनत रंग लायी और आज उनका स्टार्टअप एक सफल बिज़नेस मॉडल बन चुका है। उनके द्वारा बनाये जाने वाले बांस के घर की मांग ना सिर्फ में भारत से बल्कि दुनिया के अन्य देशों से भी आने लगी है।
किसी के गार्डन के लिए ये एक लग्ज़री हैं तो किसी और के लिए यह काम कीमत में आवास उपलब्ध करा रहे हैं।
उनका यह आईडिया पर्यावरण के लिए भी अच्छा है साथ ही साथ इससे बांस की खेती और कलाकारी करने वाले श्रमिकों को भी अच्छा जीवनस्तर मुहैया कराने का साधन बन गया है। बांस दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली प्रजातियों में से एक है। बांस की कुछ नस्लें तो एक दिन में तीन फ़ीट तक बढ़ सकती हैं।
उनका आईडिया यूनिक था। उन्हें इसकी बेहतर और लाभदायक होने पर विश्वास था। उन्होंने इसे अपने कल्पना की दुनिया से उतारकर वास्तविक दुनिया में साकार कर डाला। जीवन के इस उतर-चढ़ाव को भी बखूबी उन्होंने सम्हाला। वे कहते हैं कोशिश करते रहें, यदि एक बार हार भी जाते हैं तो यह पछताने से लाख गुना बेहतर है।