7 जुल॰ 2015

अतिगुणकारी हरड़ (Terminalia chebula)


हरीतकी सदा पथ्या मातेव हितकारिणी।
कदाचित कुप्यते माता नोदरस्था हरीतकी॥

हरीतकी (हरड़) सदा ही पथ्यरूपा (जिसका कभी परहेज ना करना पड़े) है, माता के समान हित करने वाली है। माता कभी-कभी कोप कर सकती है किन्तु सेवन की गयी हरड़ कभी कुपित नहीं होती, सदा हित ही करती है।

1. नमक के साथ हरड़ खाने से पेट सदा साफ रहता है। हरड़ के चूर्ण में एक चौथाई भाग ही नमक मिलाना चाहिए इससे अधिक में दस्तावर हो सकता है।

2. घी के साथ हरड़ का चूर्ण चाटने से कभी हृदय रोग नहीं होता।

3. सुबह शहद के साथ हरड़ का चूर्ण चाटने से शरीर का बल और शक्ति बढ़ती है।

4. मक्खन-मिस्री के साथ हरड़ के चूर्ण का सेवन करने से स्मरण शक्ति और बुद्धि बढ़ती है अतः विद्यार्थियों का इसका सेवन अवश्य करना चाहिए।

5. पंचगव्य के साथ हरड़ का चूर्ण सेवन करने से आयु बढ़ती है।

अतः हरड़ सदा ही हितकारी है, इसका सेवन नित्य करना चाहिए।

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें