13 जुल॰ 2015

बारिश के मौसम में क्या करें क्या ना करें, जानिए आयुर्वेद के नज़रिए से


इस मौसम में आसमान बादलों से घिरा रहता है और हवा में नमी बनी रहती है। इस मौसम के दूषित जल और नमीयुक्त शीतल वायु से शरीर की अग्नि मंद पड़ जाती है। मंद हुई अग्नि से पाचनतंत्र पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। साथ ही इस समय वायु भी दूषित हो जाती है और जल अम्ल्युक्त हो जाता है जिससे शरीर का पित्त कुपित हो जाता है। अग्नि मंद होने और वर्षा के पानी में पशुकीटआदि के मलमूत्र के स्पर्श से कफ़ भी कुपित हो जाता है। इस प्रकार से बारिश के मौसम में वात, पित्त और कफ़ तीनों ही के दोषों के कारण बीमारियों से घिरने की संभवना सबसे ज़्यादा होती है।

बारिश के मौसम में स्वस्थ रहने के लिए अग्निवर्धक पदार्थों का सेवन करना चाहिए जैसे मूंग की दाल, मट्ठा, नीम्बू, अंजीर और खजूर इत्यादि। पानी उबालकर ही पीना चाहिए। रोज़ हरड़ के चूर्ण के साथ सेंधा नमक का सेवन करना चाहिए। अधिक वर्षा के दिनों में लवणयुक्त खट्टे एवं स्निग्ध पदार्थों का सेवन करना चाहिए। तेल लगाकर स्नान करना चाहिए। पहनने के वस्त्रों को अकसर धूप में सुखाना चाहिए।

उदमन्थं दिवास्वप्नमवश्यायं नदीजलम्।
व्यायाममातपं चैव व्यवायं चात्र वर्जयेत्।।

अर्थात इस ऋतु में नदीतट का वास, नदी का जल, जलयुक्त सत्तू, दिन में सोना, व्यायाम, अधिक परिश्रम, धूप, रूखे पदार्थों का सेवन एवं स्त्री सहवास वर्जित हैं।

इस प्रकार कुछ सावधानियां बरतकर स्वस्थ रहकर आप वर्षा ऋतु का आनंद ले सकेंगे।

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