हमारे फेंफड़ों का मुख्य कार्य हमारे द्वारा ली गई सांसों से रक्तप्रवाह में ऑक्सीजन पहुँचाना तथा कार्बनडाईऑक्साइड बाहर निकलना है।
अधिकांश कशेरुकी प्राणियों (जिनमें रीढ़ की हड्डी होती है) के दो फेंफड़े होते हैं।
हमारा दायाँ और बायाँ फेंफड़ा एक जैसा नहीं होता। हमारा बायाँ फेंफड़ा हृदय को जगह देने के कारण थोड़ा छोटा होता है। वहीं हमारा बायाँ फेंफड़ा दो भागों में विभाजित रहता है जबकि दायाँ तीन भागों में।
क्या हम एक फेंफड़े के सहारे ज़िंदा रह सकते हैं? बिलकुल रह सकते हैं? दुनिया में कई लोग सिर्फ एक ही फेंफड़े के सहारे ज़िंदा हैं हालाँकि वे सामान्य व्यक्ति की तरह अधिक परिश्रम नहीं कर सकते।
जिन लोगों के फेंफड़ों की क्षमता या आयतन अधिक होता है वे पूरे शरीर में ऑक्सीजन तेज़ी से पहुंचा सकते हैं। आप अपने फेंफड़ों की क्षमता नियमित अभ्यास से बढ़ा सकते है।
आराम करते समय एक वयस्क मनुष्य एक मिनट में करीब 12 से 20 बार सांसें लेता है।
एक आम मनुष्य दिन भर में 11,000 लीटर वायु सांसों के माध्यम से अपने शरीर में ग्रहण करता है।
मेडिकल साइंस में फेंफड़ों का अध्ययन पुलमोनोलॉजी (Pulmonology) कहलाता है।
धूम्रपान से फेंफड़ों का कैंसर हो सकता है।
दमे का रोग फेंफड़ों से जुड़ा एक प्रचलित रोग है। दमे का प्रभाव तब होता है जब श्वास नली में संकुचन पैदा हो जाता है, जिसका प्रमुख कारण बैक्टीरिया और धूम्रपान इत्यादि है।
निमोनिया एक खतरनाक बीमारी है। इसके कारण आप सांस से ली जाने वाली वायु में से ऑक्सीजन ग्रहण नहीं कर पाते।
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