10 जून 2016

आपका नया घर कहीं आपके बच्चे को मानसिक रोगी तो नहीं बना रहा?


अपने पुराने घर से नए घर में शिफ़्ट होना वैसे ही एक थका देने वाला अनुभव है परन्तु बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी इसका बहुत बुरा असर पड़ता है। American Journal of Preventive Medicine में प्रकाशित हुई एक शोध के अनुसार जिन बच्चों को बढ़ती उम्र में कई बार घर बदलना पड़ता है उनमें नशे, आत्महत्या यहां तक कि कम उम्र में मृत्यु की संभावना सामान्य बच्चों की तुलना में बहुत अधिक हो जाती है।

इस शोध के लिए डेनमार्क में 1971 से 1997 के बीच जन्में 14 लाख बच्चों का परीक्षण किया गया। इसमें उनके बचपन से उम्र के चौथे दशक के बीच रहे गए स्थानों और उनके जीवन के कई पहलुओं पर प्रकाश डाला गया। इसमें पाया गया कि जिन बच्चों की उम्र घर बदलते समय जितनी कम थी उतनी ही असर उनके मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ा। उन बच्चों की समस्या तो और भी गंभीर थी जिन्हें एक ही साल में कई बार अपना घर बदलना पड़ा। इन बच्चों के साथ कई मानसिक समस्याएं थीं जैसे हिंसक स्वाभाव, नशे की लत, सामाजिक ना होना, परिवार से कट जाना इत्यादि।

ऐसे बच्चों पर बचपन में पड़ा ये असर उम्र के बाद के पड़ावों पर और भी अधिक गहराता गया एवं कई मामलों में उन्हें कारावास और आत्महत्या जैसे कष्टों को भुगतना पड़ा।

एक खास बात जो इस शोध में निकलकर आई वो यह थी कि इस सब में परिवार की सामाजिक और आर्थिक स्थिति का समस्या से बहुत ज़्यादा लेना-देना नहीं था अर्थात समाज के सभी वर्गों और समुदायों पर अपना घर बदलने का समान प्रभाव पड़ता है।

समाधान के रूप में अभिभावकों को सलाह दी जाती है कि वे मित्रवत अपने बच्चों से निरन्तर उनकी परेशानियों के बारे में पूछें। उन्हें बदलाव के लिए सकारात्मक रूप से प्रेरित करें और उनकी मानसिक ज़रूरतों का पूरा ख्याल रखें। सबसे ज़रूरी बात यदि आपको ऐसा लगता है कि वे पुराने घर से जुड़ी किसी भी चीज़ के साथ ना रहने से असहज हैं तो खुलके उनसे इस बारे में बात करें। उन्हें अपने पुराने मित्रों से मिलने-जुलने की आज़ादी दें।

माता-पिता यदि इस समस्या के बारे में जानकारी रखेंगे तो निश्चित ही वे पहले से इसके तैयार होंगे और अपने बच्चों को बदलाव के लिए तैयार रख पाएंगे।

स्रोत: Webb R, Pedersen C. Adverse Outcomes to Early Middle Age Linked With Childhood Residential Mobility. American Journal of Preventive Medicine. 2016.

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